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सिर्फ़ 4 घंटे की नींद और दिमाग़ पर खतरा! कैसे एक हफ़्ते में बिगड़ता है स्वास्थ्य?

अगर कोई लगातार सिर्फ़ 4 घंटे की नींद लेता है, तो इसका असर सिर्फ़ थकान तक सीमित नहीं रहता, बल्कि दिमाग़, मूड और शरीर पर गहरा असर डालता है. शोध बताते हैं कि नींद की कमी से याददाश्त कमज़ोर होती है, तनाव और गुस्सा बढ़ता है, ब्लड शुगर असंतुलित होता है और लंबे समय में चिंता, डिप्रेशन और दिमाग़ की उम्र तेज़ी से बढ़ने का ख़तरा रहता है.

Sleep Deprivation Effects On Brain: नींद हमारे स्वास्थ्य के लिए उतनी ही ज़रूरी है जितनी हवा और पानी. लेकिन अगर कोई लगातार अपनी नींद का चक्र बिगाड़ ले और सिर्फ़ 4 घंटे की नींद लेकर दिन गुज़ारे, तो इसका असर सिर्फ़ थकान तक सीमित नहीं रहता. रिसर्च बताती है कि नींद की यह कमी बहुत तेज़ी से दिमाग़, मूड और शरीर पर भारी पड़ सकती है.

4 घंटे की नींद और दिमाग़ की याददाश्त पर असर

2024 में प्रकाशित एक अध्ययन 'A Systematic and Meta-Analytic Review of the Impact of Sleep Restriction' में पाया गया कि जब प्रतिभागियों को लगातार 14 दिन तक 6 घंटे या 4 घंटे की नींद दी गई, तो उनकी वर्किंग मेमोरी (याददाश्त और जानकारी को संभालने की क्षमता) बेहद प्रभावित हुई. यह असर लगभग वैसा ही था जैसे किसी ने दो दिन बिना सोए गुज़ार दिए हों.

यूनिवर्सिटी ऑफ यूटा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 7 घंटे से कम नींद लेने पर ध्यान केंद्रित करने, फैसले लेने और नई चीज़ें सीखने की क्षमता बहुत गिर जाती है. यानी सिर्फ़ एक हफ़्ते की नींद की कमी भी दिमाग़ को धुंधला बना देती है.

नींद की कमी और मूड पर बुरा असर

नींद सिर्फ़ शरीर को आराम नहीं देती, बल्कि इमोशन्स को नियंत्रित करने का भी काम करती है. हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के अनुसार, जो लोग हर रात सिर्फ़ 4.5 घंटे सोते हैं, वे अक्सर ज़्यादा तनावग्रस्त, गुस्सैल, उदास और मानसिक रूप से थके हुए महसूस करते हैं.

एक अन्य शोध में यह पाया गया कि लगातार 5 रात सिर्फ़ 4 घंटे सोने वालों में दिमाग़ के उस हिस्से (अमिग्डाला और एंटीरियर सिंगुलेट नेटवर्क) की कनेक्टिविटी कम हो जाती है जो भावनाओं को संतुलित रखने में मदद करता है. नतीजा यह होता है कि छोटी-सी बात भी बड़ी लगने लगती है.

दिमाग़ की बनावट और लंबी अवधि का ख़तरा

UK Biobank Study (2022) के अनुसार, जिन लोगों की नींद औसतन 7 घंटे रहती है, उनका दिमाग़ सामान्य और स्वस्थ पाया गया. लेकिन जो लोग बहुत कम नींद लेते हैं, उनमें दिमाग़ की संरचना (ग्रे मैटर) में बदलाव नज़र आता है. यह बदलाव कमज़ोर याददाश्त, निर्णय क्षमता और ध्यान की कमी से जुड़ा होता है.

सिर्फ़ 7 दिन की नींद की कमी में ये लक्षण उभर सकते हैं:

  • ध्यान केंद्रित करने में मुश्किल और भूलने की आदत
  • मूड का बिगड़ना, गुस्सा और तनाव बढ़ना
  • निर्णय लेने की क्षमता कम होना और रिएक्शन टाइम धीमा होना
  • ब्लड शुगर लेवल और हार्मोनल असंतुलन बढ़ना
  • लंबे समय में चिंता, डिप्रेशन और दिमाग़ की उम्र तेज़ी से बढ़ने का ख़तरा

क्यों ज़रूरी है पर्याप्त नींद लेना

सिर्फ़ 4 घंटे की नींद लेना सिर्फ़ सुबह थका देने वाली आदत नहीं, बल्कि यह शरीर और दिमाग़ दोनों पर बोझ डालती है. अच्छी बात यह है कि अगर तुरंत रूटीन सुधारा जाए और रोज़ाना 7-8 घंटे सोया जाए, तो दिमाग़ और शरीर दोनों जल्दी रिकवर कर सकते हैं.

अगर आप भी देर रात तक जागने या नींद काटने की आदत में हैं, तो आज से ही अपनी स्लीप रूटीन को रीसेट करें. आपकी सेहत और दिमाग़ इसके लिए आपको शुक्रिया कहेंगे.

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