अब पेशाब बनाएगा आपको करोड़पति! यूरिन से बनेंगे दांत और हड्डियों के इम्प्लांट, जानिए वैज्ञानिकों ने कैसे किया इसे संभव
Urine Recycling For Bone Implants: वैज्ञानिकों ने एक अनोखी तकनीक विकसित की है जिसके जरिए इंसानी पेशाब से दांत और हड्डियों के इंप्लांट्स बनाए जा सकते हैं. वैज्ञानिकों ने एक सिंथेटिक यीस्ट सिस्टम तैयार किया है, जो पेशाब को हाइड्रॉक्सीएपेटाइट में बदल देता है. यह वही तत्व है जो दांतों की ऊपरी परत और हड्डियों के मिनरल में पाया जाता है.

Urine Recycling For Bone Implants: क्या आप सोच सकते हैं कि इंसानी पेशाब (Urine) से दांतों और हड्डियों के इम्प्लांट बनाए जा सकते हैं? सुनने में अजीब जरूर लगता है लेकिन ये बिल्कुल सच है. चौंकाने वाली बात तो ये है कि अगर ये सफल हो गया तो पेशाब की कीमत बढ़ जाएगी... शायद ये एक भविष्य का 'लिक्विड गोल्ड' बन जाए. ऐसे में इसे बेचकर लोग करोड़पति हो सकते हैं, क्योंकि व्यवहार में आने के बाद इसकी डिमांड बढ़ जाएगी.
दरअसल, अमेरिका और जापान के वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस पर बड़ी कामयाबी हासिल की है. इससे न सिर्फ मेडिकल साइंस में क्रांति आएगी, बल्कि पर्यावरण को भी फायदा होगा.
कैसे किया गया यह कमाल?
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, इरविन के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा सिंथेटिक यीस्ट सिस्टम (osteoyeast platform) तैयार किया है जो इंसानी पेशाब को हाइड्रॉक्सीएपाटाइट (Hydroxyapatite - HAp) में बदल देता है. यही हाइड्रॉक्सीएपाटाइट हमारे दांतों के इनेमल और हड्डियों का मुख्य घटक होता है जो उन्हें मजबूती देता है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस सिस्टम में यीस्ट पेशाब में मौजूद यूरिया को तोड़ता है और साथ ही उसके pH स्तर को बढ़ाता है जिससे हाइड्रॉक्सीएपाटाइट का निर्माण होता है.
हाइड्रॉक्सीएपाटाइट का महत्व क्या है?
- यही मिनरल दांत और हड्डियों के इम्प्लांट बनाने में काम आता है.
- आर्कियोलॉजिकल रिस्टोरेशन (पुरातात्विक संरक्षण) में इसका इस्तेमाल होता है.
- बायोडिग्रेडेबल मटेरियल्स बनाने में भी यह काम आता है.
बाजार में इसकी कीमत 80 डॉलर प्रति किलो से भी ज्यादा है और इसका ग्लोबल मार्केट 2030 तक 3.5 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है.
पेशाब को रिसायकल करने का क्या फायदा?
पर्यावरण को फायदा: इस तकनीक से गंदे पानी के उपचार (wastewater treatment) में खर्च होने वाले संसाधनों की बचत होगी और पानी में घुलने वाले हानिकारक पोषक तत्वों से भी राहत मिलेगी.
कमाई का जरिया: जो चीज अब तक बेकार समझी जाती थी, वही अब महंगे मेडिकल इम्प्लांट का कच्चा माल बन रही है.
सस्टेनेबल डेवलपमेंट: पानी की बचत और रिसोर्स का दोबारा इस्तेमाल संभव होगा.
वैज्ञानिकों ने क्या कहा?
वैज्ञानिक डेविड किसैलियस ने कहा, 'हमने ऐसे यीस्ट तैयार किए हैं जो यूरिया तोड़ते हैं और एक साथ दो फायदे करते हैं - एक तो पेशाब को गंदे पानी से अलग करते हैं, दूसरा इससे हाइड्रॉक्सीएपाटाइट जैसा कीमती मटेरियल बनाते हैं.'
क्या है आगे की प्लानिंग?
वैज्ञानिक अब इस टेक्नोलॉजी को 3D प्रिंटिंग के साथ मिलाकर मजबूत और टिकाऊ मटेरियल्स बनाने की योजना बना रहे हैं. इससे दांत, हड्डियों के इम्प्लांट्स के अलावा हल्के लेकिन मजबूत निर्माण मटेरियल भी तैयार किए जा सकेंगे.
क्या है चुनौतियां?
- पेशाब को सुरक्षित तरीके से इकठ्ठा और प्रोसेस करना होगा ताकि कोई बीमारी न फैले.
- लोगों में इस टेक्नोलॉजी को लेकर मानसिक और सांस्कृतिक झिझक हो सकती है.
- जागरूकता बढ़ानी होगी कि पेशाब अब बेकार नहीं बल्कि भविष्य का 'लिक्विड गोल्ड' है.
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