BREAKING:
कैसे काम करता है Apple का 'Liquid Glass Software'? इन 10 POINTS में जानें इसकी खूबियां       Aaj Ka Rashifal 10 June 2025: जानें कैसे रहेगा आपका दिन, किन राशियों को मिलेगा अचानक पैसा?       फेंटेनाइल क्या है, जिसे लेकर चीन की चालबाजी से टेंशन में अमेरिका? भारत के आगे लगाई गुहार - आपकी मदद की जरूरत       धमकी, बदनामी, गालियां और 'सेक्स वर्कर' का ठप्पा... जानिए कैसे बांग्लादेश में महिलाओं की आवाज दबा रहे कट्टरपंथी?       मुंबई की लोकल ट्रेन या मौत की रेलगाड़ी! हर दिन 7 जानें कुर्बान, जानिए कितना खतरनाक होता जा रहा ये सफर?       2024 में 513000 लोगों ने छोड़ा UK! आखिर क्यों छोड़ रहे हैं लोग ब्रिटेन? इन 9 Points में समझिए मौजूदा हालात       चिराग पासवान की बिहार में एंट्री! बीजेपी का खेल, क्या CM नीतीश कुमार की बढ़ सकती है टेंशन?       चीन के हैकर्स का अमेरिका में आतंक! जानिए कैसे सरकारी अधिकारियों, पत्रकारों और नेताओं के फोन को बना रहा निशाना       'मैं बिहार से नहीं बल्कि बिहार के लिए...', मोदी के हनुमान बनकर केला लेकर भागने के फिराक में चिराग! लड़ेंगे 243 सीटों पर चुनाव       बलूचों पर पाकिस्तान का कहर! नया कानून बना ज़ुल्म का औजार, प्रावधान जान याद आ जाएगी अंग्रेजी हुकूमत      

Inspiring Story: 12 साल की उम्र में घर छोड़ा, दर्जी बन सिले कपड़े, फिर खड़ी कर दी 17000 करोड़ रुपये की कंपनी

Inspiring Story: पारले जी की स्थापना मोहनलाल चौहान के लिए आसान नहीं था. उन्होंने इसे स्थापित करने से पहले कई संघर्षों से गुजरना पड़ा था. उनकी कहनी आपको भी कुछ अलग हटकर करने पर मजबूर कर देगी.

Inspiring Story: इस दुनिया में मन के जीते जीत है और मन के हारे हार है. कुछ कहानियां ऐसी होती है जो असंभव को संभव कर दिखा देती है. ऐसी ही एक कहनी आज हम आपको सुनाने जा रहे हैं. ये कहानी है दुनिया की नामचीन बिस्किट ब्रांड पारले-जी के मालिक मोहनलाल चौहान की. 

1900 के दशक के दौर का वो वक्त था जब देश में अंग्रेजों का शासन हुआ करता था और मोहनलाल चौहान ने महज 12 साल की उम्र में घर छोड़कर सपनों के शहर मुंबई आ गए. मोहनलाल दक्षिण गुजरात के वलसाड के पास एक छोटे से शहर के रहने वाले थे. 

मुंबई आकर सीखा सिलाई करना 

मुंबई आकर मोहनलाल सिलाई सीखना चाहते थे और जल्द ही उन्होंने ये हुनर भी सिख लिया. वह सिर्फ़ 18 साल के थे जब उन्होंने मुंबई के गामदेवी में एक स्टोर खोला. इसके बाद उनकी फाइनेंशियल स्थिति में कुछ सुधार आया. उन्होंने दो स्वतंत्र बिज़नेस भी शुरू किया. जिसका नाम था- डी मोहनलाल एंड कंपनी और छिबा दुर्लभ. 

मोहनलाल के 5 बेटे हुए. उन्होंने अपने पांचों बेटे को बिजनेस मैनेजमेंट सिखाया और फिर उनके बेटों ने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अपनी दर्जी की दुकान बंद करके एक कन्फेक्शनरी कंपनी स्थापित करने का निर्णय लिया. इसके बाद पारले ग्रुप की स्थापना की गई.

सेविंग की 60,000 पारले जी में लगाई

मोहनलाल चौहान ने बाद में अपनी सेविंग के 60,000 रुपये से मशीनों का आयात करके भारत में जर्मन तकनीक लाने का फैसला किया. औपनिवेशिक शासन से भारत की स्वतंत्रता के बाद, मोहनलाल का पारले जी फला-फूला, क्योंकि यह ब्रिटिश स्नैक्स का सस्ता, भारतीय निर्मित विकल्प बन गया. 

पारले प्रोडक्ट्स ने बाद में थम्स अप, गोल्ड स्पॉट, लिम्का और फ्रूटी जैसे सॉफ्ट ड्रिंक्स पेश करके कोका-कोला टफ कंपीटीशन दे डाली और उनके सारे ब्रांड भारत में प्रसिद्ध हो गए. पारले-जी भारत की पहली FMCG कंपनी भी है जिसने 2012 में एक साल में खुदरा बिक्री में 5000 करोड़ रुपये को पार किया. 2011 में नीलसन की रिपोर्ट मुताबिक, पारले जी बिस्कुट को दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाले बिस्कुट के रूप में भी नामित किया गया था. 

विजय चौहान चला रहे हैं पारले जी

वर्तमान में मोहनलाल चौहान के बेटे विजय चौहान कंपनी की कमान संभाल रहे हैं और पारले प्रोडक्ट्स का वैल्यू अब 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक है, जिसका मौजूदा वैल्यू 17000 करोड़ रुपये से अधिक है. विजय चौहान और उनके परिवार की कुल संपत्ति वर्तमान में 5.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर है, जो कि 45,238 करोड़ रुपये के बराबर है. 

ये भी देखिए: Supreme Court: 'सिक्योरिटी को बुलाओ, बाहर निकालो इन्हें' नीट सुनवाई के दौरान वकील पर क्यों भड़कें चीफ जस्टिस चंद्रचूड़?