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नई दिल्ली में फिर शुरू हुई भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता, 5 बड़े सवाल जो तय करेंगे भविष्य

भारत और अमेरिका के बीच रुके हुए व्यापारिक वार्ता एक बार फिर दिल्ली में शुरू हो गई हैं. अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव ब्रेंडन लिंच कर रहे हैं. चर्चा का फोकस डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ, भारत के रूसी तेल आयात, कृषि व डेयरी मार्केट की पहुंच, डिजिटल सर्विस टैक्स और डेटा लोकलाइजेशन पर है. अमेरिका चाहता है कि भारत रूसी तेल खरीद कम करे और अपने मार्केट्स को खोले, जबकि भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता और किसानों के हितों पर समझौता करने के मूड में नहीं है. वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने उम्मीद जताई है कि नवंबर 2025 तक पहली फेज की ट्रेड डील को अंतिम रूप दिया जा सकता है.

India - US Trade Talks 2025: नई दिल्ली में सोमवार रात (16 सितंबर) को अमेरिका का उच्चस्तरीय व्यापार प्रतिनिधिमंडल पहुंचा और मंगलवार को भारत के वाणिज्य मंत्रालय के साथ भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर वार्ता शुरू की. इस टीम का नेतृत्व अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच कर रहे हैं. यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब दोनों देशों के बीच हाल ही में ट्रंप प्रशासन के 50% टैरिफ फैसले से तनाव बढ़ा था.

क्यों अटकी थी बातचीत?

कुछ हफ्ते पहले भारत-अमेरिका BTA वार्ता रुक गई थी, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय निर्यात पर भारी टैरिफ लगा दिया था. अटकलें थीं कि यह कदम ट्रंप के नोबेल महत्वाकांक्षा और पीएम मोदी द्वारा पाकिस्तान पर ऑपरेशन सिंदूर रोकने का श्रेय उन्हें न देने से जुड़ा है.

अगस्त में अमेरिका को छठे दौर की बातचीत के लिए आना था, लेकिन 7 और 27 अगस्त को लगातार दो टैरिफ बढ़ोतरी (कुल 50%) के बाद वार्ता टल गई. अब फिर से बातचीत बहाल होने से उम्मीद जगी है.

5 बड़े सवाल जो तय करेंगे भारत-अमेरिका व्यापार का भविष्य

1. क्या अमेरिका हटाएगा 50% टैरिफ?

भारत चाहता है कि ट्रंप प्रशासन हाल ही में लगाए गए 50% टैरिफ को वापस ले. यह टैरिफ भारत-अमेरिका रिश्तों में दशकों से बनी संतुलन को झटका देने वाला रहा है. भारत ने अभी तक कोई बड़ी प्रतिरोधी कार्रवाई नहीं की है, सिर्फ 25% रेसिप्रोकल टैरिफ कपड़ों जैसे सामान पर लगाया है.

2. क्या भारत कम करेगा रूसी तेल पर निर्भरता?

अमेरिका लगातार दबाव डाल रहा है कि भारत रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद करे, जबकि भारत ने साफ कहा है कि उसकी रणनीतिक स्वायत्तता बनी रहेगी और जहां से सस्ता तेल मिलेगा, वहीं से खरीदेगा. भारत अपनी जरूरत का 85% तेल आयात करता है, इसलिए यह मुद्दा बेहद संवेदनशील है.

3. क्या अमेरिका को मिलेगा भारत के कृषि और डेयरी बाजार में प्रवेश?

अमेरिका चाहता है कि भारत अपने कृषि और डेयरी सेक्टर को उसके लिए खोले, लेकिन भारत किसानों की आजीविका और सांस्कृतिक कारणों से इसे लेकर सख्त है. चर्चा है कि सीमित स्तर पर आयात (जैसे प्रीमियम चीज़ या एथेनॉल के लिए जीएम कॉर्न) पर सहमति बन सकती है.

4. डिजिटल टैक्स और डेटा लोकलाइजेशन पर भारत नरम होगा?

अमेरिका की टेक कंपनियों को भारत के डिजिटल सर्विस टैक्स और डेटा लोकलाइजेशन कानूनों से दिक्कत रही है. हालांकि भारत ने अप्रैल 2025 से अपना डिजिटल टैक्स हटा दिया है और अब OECD ग्लोबल टैक्स फ्रेमवर्क लागू कर दिया है. डेटा स्टोरेज नियम अब भी कड़े हैं, खासकर बैंकिंग और वित्तीय सेक्टर में.

5. क्या नवंबर तक होगा व्यापार समझौता?

फरवरी 2025 में पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप ने निर्देश दिया था कि दोनों देश नवंबर 2025 तक समझौते का पहला चरण पूरा करें. अब देखना होगा कि मौजूदा वार्ता में ठोस प्रगति होती है या फिर यह सिर्फ बयानों तक सीमित रह जाती है.

भारत का रुख

भारत ने साफ संकेत दिया है कि वह किसी भी दबाव में आकर रूसी तेल खरीदना बंद नहीं करेगा और न ही कृषि क्षेत्र पूरी तरह खोलेगा. वहीं वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने उम्मीद जताई कि नवंबर तक पहला चरण पूरा हो सकता है.

भारत और अमेरिका के बीच यह वार्ता सिर्फ व्यापारिक नहीं बल्कि भू-राजनीतिक महत्व भी रखती है. ट्रंप प्रशासन रूस के खिलाफ भारत का इस्तेमाल करना चाहता है, जबकि भारत अपने हितों और स्वायत्तता पर समझौता करने के मूड में नहीं है. आने वाले दो महीनों में होने वाली बातचीत इस रिश्ते का भविष्य तय करेगी.

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