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ड्रोन हो या मिसाइल, AI से सब तबाह! भारत ने पाकिस्तान के हमलों को विफल करने के लिए कैसे नए युग की युद्ध तकनीक का किया इस्तेमाल?

India Use AI To Thwart Pakistan Aerial Attacks: भारत-पाकिस्तान सैन्य संघर्ष में भारत ने आधुनिक तकनीकों, विशेष रूप से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), स्पेस टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम्स का इस्तेमाल कर पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया और उसके हवाई हमलों को विफल किया. इस दौरान भारत की स्वदेशी रक्षा प्रणालियों, AI-बेस्ड एयर डिफेंस और सिचुएशनल अवेयरनेस टेक्नोलॉजी ने बड़ी भूमिका निभाई.

India Use AI To Thwart Pakistan Aerial Attacks: 6-7 मई की रात से शुरू हुए भारत-पाकिस्तान के बीच 4 दिनों के सैन्य संघर्ष में भारत ने अपनी सैन्य और तकनीकी क्षमता का ऐसा प्रदर्शन किया, जिसने न सिर्फ पाकिस्तान को पीछे हटने पर मजबूर किया, बल्कि यह भी साबित किया कि भारतीय सशस्त्र बल अब सिर्फ हथियारों पर नहीं बल्कि अत्याधुनिक तकनीकों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की बदौलत लड़ाई लड़ रहे हैं.

भारत ने इस युद्ध के जरिए दुनिया को दिखाया है कि वह अपनी सीमा और अंदर दोनों जगहों को सुरक्षित रखने में महारत हासिल कर चुका है. भारत को छूना अब उसके दुश्मन देशों के लिए नामुमकिन है. भारत की सेना दुनियाभर में इजात की गई नई टेक्नोलॉजी से लैश है, जो किसी भी परिस्थिति के लिए तैयार है. 

AI, स्पेस टेक्नोलॉजी और कंप्यूटिंग का संगम

रक्षा सूत्रों के मुताबिक, भारत ने इस संघर्ष में पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों को सटीकता से निशाना बनाया और उनकी तरफ से आने वाले हमलों को नाकाम किया। यह सब कुछ संभव हो सका देश की 'स्पेस टेक्नोलॉजी', 'इलेक्ट्रॉनिक्स' और 'AI-आधारित कंप्यूटिंग एक्सपर्टीज़' की सफल एकीकृत प्रणाली के चलते. 

भारत ने अपने स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम, एयर डिफेंस क्षमताओं और 'हार्ड' और 'सॉफ्ट किल' तकनीकों का उपयोग कर दुश्मन के हमलों को विफल कर दिया. भारत की यह क्षमता यह दिखाने के लिए काफी है कि कैसे टेक्नोलॉजी अब हमारी रणनीतिक ताकत बन गई है.

AI के जरिए रियल टाइम सिचुएशनल अवेयरनेस

भारतीय सेना ने क्लाउड-आधारित AI इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम का इस्तेमाल कर आसमान में किसी भी दुश्मन की गतिविधियों को तुरंत पहचानने और प्रतिक्रिया देने में सफलता पाई.

रक्षा सूत्रों का के मुताबिक, AI आधारित इस सिस्टम ने रडार से दुश्मन की लोकेशन पकड़ने, उसके ऊपर नजर रखने और ज़रूरत पड़ने पर जमीन, समुद्र या हवा से सटीक हमला करने में सेना की मदद की.

AI की वजह से भारतीय रक्षा बलों ने पाकिस्तानी हवाई हमलों के खिलाफ एक अभेद्य रक्षा कवच तैयार कर लिया था, जो संघर्ष के दौरान बेहद प्रभावी साबित हुआ.

2018 से बन रही थी AI की रणनीति

भारत में रक्षा क्षेत्र में AI का इस्तेमाल कोई अचानक शुरू नहीं हुआ. 2018 में रक्षा मंत्रालय ने एक मल्टी-स्टेकहोल्डर टास्क फोर्स का गठन किया था ताकि AI के राष्ट्रीय सुरक्षा पर प्रभावों का अध्ययन किया जा सके.

इस टास्क फोर्स की सिफारिशों पर दो संस्थाओं की स्थापना हुई.

1. Defence AI Council (DAIC)

2. Defence AI Project Agency (DAIPA)

इन संस्थानों ने पॉलिसी बदलाव, ढांचागत सुधार और ऑपरेटिंग फ्रेमवर्क के लिए गाइडलाइंस तैयार कीं जिससे भारतीय सेना में AI को बड़े पैमाने पर लागू किया जा सके.

AI आधारित प्रोजेक्ट्स का तेजी से क्रियान्वयन

2022 में सरकार ने रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों (DPSUs) के लिए एक AI रोडमैप तय किया. इसमें 70 रक्षा-संबंधित AI प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी गई, जिनमें से 40 पूरे हो चुके हैं. 2026 तक, 129 AI प्रोजेक्ट्स को हरी झंडी दिखाई गई है, जिनमें से 77 पूरे हो चुके हैं. 2022 में हर सेवा शाखा को AI के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे.

रक्षा कंपनियों और DRDO का भी अहम योगदान

भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने एक ऐसा AI सिस्टम तैयार किया है जो दुश्मन के विमानों की गतिविधियों को पहचान और वर्गीकृत कर सकता है. इससे सेना को रियल टाइम में दुश्मन की रणनीति समझने में मदद मिलती है. यह सिस्टम Integrated Air Command and Control System (IACCS) का हिस्सा बनने जा रहा है, जो देश के सभी एयर डिफेंस संसाधनों से डेटा लेकर एक साझा डेटा प्रस्तुत करता है.

भारतीय सेना ने AI-Based Intercept 

Management System (IMS) विकसित किया है, जो दुश्मन के संचार इंटरसेप्ट कर उन्हें AI की मदद से स्वचालित रूप से विश्लेषण करता है. इससे सेना को महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी तुरंत मिल जाती है.

DRDO के CAIR (Centre for Artificial Intelligence & Robotics) ने Air Defence Control and Reporting System (ADC&RS) विकसित किया है, जो दुश्मन के हवाई खतरों का पता लगाकर उन्हें संवेदनशील इलाकों से पहले ही निष्क्रिय कर देता है.

AI से बदल रही है भविष्य की युद्ध नीति

भारत की यह सैन्य सफलता दिखाती है कि आने वाले समय में युद्ध सिर्फ बंदूक और मिसाइल से नहीं, बल्कि डेटा, AI और तेज निर्णय लेने की तकनीक से जीते जाएंगे. भारतीय सशस्त्र बलों की इस टेक्नोलॉजिकल छलांग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत न सिर्फ रक्षा में आत्मनिर्भर हो रहा है, बल्कि तकनीकी रूप से विश्व के अग्रणी देशों की कतार में शामिल हो रहा है.

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