पारले-जी की कीमत ₹2300! इस देश में भारत का बिस्किट क्यों मिल रहा है इतना मंहगा?
Parle-G biscuit price Gaza: गाजा में जारी युद्ध और खाद्य संकट के बीच एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें एक फिलिस्तीनी पिता अपनी बेटी को उसका पसंदीदा पारले-जी बिस्किट देता है. भारत में 100 रुपये में मिलने वाला यह बिस्किट वहां 2300 रुपये में बिक रहा है. इसकी वजह है खाद्य सामग्री की भारी कमी, ब्लैक मार्केटिंग और मानवीय सहायता का लूट जाना...

Parle-G biscuit price Gaza: गाजा में युद्ध की तबाही और भुखमरी के बीच एक दिल छू लेने वाला वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में एक फिलिस्तीनी पिता मोहम्मद जवाद अपनी मासूम बेटी रफीफ को एक पारले-जी बिस्किट का पैकेट देते नजर आते हैं. लेकिन यह सिर्फ बिस्किट नहीं, बल्कि उस पिता के लिए अपनी बेटी की खुशी की कीमत है और वो कीमत है 2300 रुपये...
मोहम्मद ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, 'बहुत इंतज़ार के बाद, आज मैंने रफीफ को उसका पसंदीदा बिस्किट दिलाया. पहले ये €1.5 में मिलता था, लेकिन अब इसकी कीमत €24 हो गई है. लेकिन मैं रफीफ की मुस्कान को मना नहीं कर पाया.'
After a long wait, I finally got Ravif her favorite biscuits today. Even though the price jumped from €1.5 to over €24, I just couldn’t deny Rafif her favorite treat. pic.twitter.com/O1dbfWHVTF
कैसे 100 रुपये का पारले-जी गाजा में हो गया 2300 रुपये का?
भारत में आम आदमी की सबसे किफायती मिठास माने जाने वाला पारले-जी, गाजा में अब लग्ज़री बन गया है.
ब्लैक मार्केट और भुखमरी
मानवीय सहायता के नाम पर कालाबाज़ारी: पारले-जी जैसे प्रॉडक्ट आम तौर पर राहत सामग्री के ज़रिए भेजे जाते हैं. लेकिन जब ये आम जनता तक नहीं पहुंचते, तो ब्लैक मार्केट में ऊंचे दामों पर बेचे जाते हैं.
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, गाजा में बिकने वाले पारले-जी पैकेट्स पर 'EXPORT PACK" लिखा है और कोई MRP नहीं छपी. इसका मतलब यह कि ये बिस्किट राहत सामग्री के तौर पर पहुंचे, लेकिन बाजार में लुट गए और अब कुछ लोगों के हाथों में ही हैं जो इन्हें मुनाफे पर बेच रहे हैं.'
भुखमरी की हकीकत
गाजा के हालात इस समय भयावह हैं.
चीनी 4914 रुपये/किलो,
प्याज़ 4423 रुपये/किलो,
आटे की कीमत में 5000% और तेल में 1200% की बढ़ोतरी हो चुकी .
लगभग 4.7 लाख लोग अब कैटास्टॉफिक फेज़ में हैं — यानी भुखमरी, मौत और गंभीर कुपोषण की स्थिति में...
गाजा की दो करोड़ आबादी अब पूरी तरह अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्भर है. लेकिन 3 मार्च 2025 को इज़रायल ने आपूर्ति पर रोक लगा दी थी, जिससे हालात और खराब हो गए. UN एजेंसी UNRWA की मुख्य बिल्डिंग और सामुदायिक रसोईघर भी लूट लिए गए.
सोशल मीडिया पर भारत से अपील: 'प्लीज़, पारले-जी भेजिए'
वीडियो वायरल होने के बाद भारत के सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर को टैग करते हुए अपील की कि भारत को और पारले-जी बिस्किट फिलिस्तीन भेजने चाहिए. एक यूज़र ने लिखा, 'ये हमारी पहचान का बिस्किट है और ये बच्ची उसे खा रही है. क्या हम और पारले-जी नहीं भेज सकते?'
क्या Airtel, Jio, या भारत की कंपनियां मदद करेंगी?
गाजा में पारले-जी की मौजूदगी एक तरफ भारतीय संस्कृति की पहुंच दिखाती है, तो दूसरी ओर मानवीय संकट की गंभीरता भी दिखती है. यह सवाल उठता है —
- क्या भारत सरकार इस दिशा में आगे बढ़ेगी?
- क्या पारले कंपनी खुद आगे आकर इस संकट में मदद कर सकती है?
युद्ध के बीच एक बिस्किट की कहानी, जो मानवता की भूख भी दिखाती है और उम्मीद की मिठास भी... 2300 रुपये में खरीदा गया पारले-जी सिर्फ एक बिस्किट नहीं, एक पिता का प्यार, एक बच्ची की मुस्कान और एक समाज की दरार का प्रतीक बन गया है. इस युद्ध के बीच भी अगर कोई चीज़ बाकी है, तो वो है — इंसानियत...