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बादलों के भीतर जीवों की रहस्यमयी दुनिया! जानिए कैसे पहुंचे आसमान तक और कितने खतरनाक

वैज्ञानिकों ने हाल ही में ये चौंकाने वाला खुलासा किया है कि बादल केवल पानी की बूंदों का झुंड नहीं, बल्कि जीवों का असली घर हैं. बादलों में अरबों-खरबों बैक्टीरिया, फफूंद, वायरस और अन्य सूक्ष्मजीव होते हैं, जो धरती, समुद्र और जंगलों से उड़कर आसमान तक पहुंचते हैं. ये जीव बारिश, बर्फ और मौसम बनाने में भी अहम भूमिका निभाते हैं.

Life In Clouds: क्या आप जानते हैं कि आसमान में तैरते बादल सिर्फ पानी की बूंदों का झुंड नहीं हैं, बल्कि वे जीवन से भरे हुए हैं? वैज्ञानिकों ने अब साबित कर दिया है कि बादल करोड़ों नहीं बल्कि खरबों जीवों का घर हैं—बैक्टीरिया, फफूंद (फंगी), वायरस और न जाने कितने एककोशीय जीवों से भरे हुए.

ये नन्हे जीव न केवल हमारे वातावरण का हिस्सा हैं, बल्कि हमारे स्वास्थ्य, मौसम और शायद भविष्य में दूसरे ग्रहों पर जीवन की खोज का संकेत भी दे सकते हैं. ये बिल्कुल एक रहस्यमयी दुनिया है. तो आइए इसके पीछे के रहस्य को जानते हैं...

1860 में हुई थी इस रहस्य की पहली झलक!

सबसे पहले इस रहस्य की झलक दी थी फ्रांस के मशहूर वैज्ञानिक लुई पाश्चर ने. उन्होंने हवा में तैरती अदृश्य चीजों को पकड़ने के लिए प्रयोग किए थे. लेकिन उनके समय में किसी ने नहीं माना कि बादलों में भी जीवन है.

अब आधुनिक तकनीक ने साबित कर दिया है कि हवा में एरोबायोम नामक विशाल दुनिया है, जिसमें धरती, समुद्र, जंगल और यहां तक कि आग की लपटों से भी जीव हवा में उठते रहते हैं.

कैसे पहुंचते हैं जीव आसमान तक?

  • समुद्री लहरें जब टूटती हैं, तो पानी की बारीक बूंदों के साथ समुद्री जीव हवा में जाते हैं.
  • धरती पर हवाएं मिट्टी और पौधों से बैक्टीरिया व फफूंद को उड़ा ले जाती हैं.
  • जंगलों में आग लगने पर धुएं के साथ हजारों सूक्ष्म जीव हवा में पहुंच जाते हैं.
  • मॉस (काई) और पौधे अपने बीज व बीजाणु हवा में छोड़ते हैं, जो हजारों किलोमीटर तक उड़ सकते हैं.

फफूंद (फंगी) के कमाल के हथकंडे!

फफूंद ने तो हवा में उड़ने की अद्भुत तकनीक विकसित कर ली है. उनके बीजाणु इतने मजबूत होते हैं कि वे समंदर के ऊपर 20 किलोमीटर तक की ऊंचाई पर पाए जाते हैं.

वैज्ञानिकों के अनुमान के अनुसार हर साल धरती और समुद्र से करीब एक ट्रिलियन ट्रिलियन बैक्टीरिया हवा में उठते हैं, साथ ही 5 करोड़ टन फंगी के बीजाणु भी!

बादलों में होती है इन जीवों की असली दुनिया

फ्रांस के 'पुई-डी-डोम' पर्वत पर वैज्ञानिक पिछले 20 सालों से बादलों में मौजूद इन जीवों का अध्ययन कर रहे हैं. यहां के बादलों में हर मिलीलीटर पानी में एक लाख तक सूक्ष्म जीव होते हैं.

DNA विश्लेषण से वैज्ञानिकों को 28,000 से ज्यादा बैक्टीरिया और 2,600 से ज्यादा फफूंद की प्रजातियां मिली हैं. इनमें से कई प्रजातियां विज्ञान के लिए बिलकुल नई हैं.

बादल भी बनाते हैं बारिश—इन जीवों की मदद से!

क्या आपने सोचा है कि बारिश बनने में इन जीवों का हाथ होता है? फफूंद, शैवाल, परागकण और बैक्टीरिया की कोशिकाएं बादलों में बर्फ बनाने का काम करती हैं. यह बर्फ बाद में बारिश या बर्फबारी के रूप में गिरती है. एक बैक्टीरिया प्रजाति—Pseudomonas—बर्फ बनाने में माहिर मानी जाती है.

बादल, जीवन और पर्यावरण—सभी जुड़े हैं एक चक्र में

वैज्ञानिक मानते हैं कि पेड़-पौधे इन जीवों को पत्तों पर बढ़ने देते हैं ताकि ये उड़कर बादलों तक पहुंचें, जिससे बारिश हो और धरती को फिर पानी मिल सके. यह प्रकृति का अद्भुत चक्र है.

एंटीबायोटिक-प्रतिरोधक जीन भी पहुंच रहे हैं बादलों तक!

यह खोज केवल रोमांचक नहीं, डरावनी भी है. वैज्ञानिकों ने पाया है कि इंसानों के कारण बने एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी बैक्टीरिया भी अब हवा में उड़ रहे हैं.

अस्पतालों, फार्म और शहरों से निकल कर ये बैक्टीरिया बादलों तक पहुंच गए हैं. वैज्ञानिकों ने हर घन मीटर बादल में 10,000 तक ऐसे जीन पाए हैं. हर साल बादलों से 2.2 ट्रिलियन ट्रिलियन ऐसे जीन धरती पर गिरते हैं.

क्या दूसरे ग्रहों पर भी ऐसे जीवन हैं?

MIT की एस्ट्रोबायोलॉजिस्ट सारा सीगर मानती हैं कि हो सकता है कि शुक्र ग्रह के बादलों में भी ऐसे ही जीवन हों. इस खोज ने ब्रह्मांड में जीवन की संभावना को नया मोड़ दे दिया है.

बादल अब सिर्फ पानी की बूंदों का समूह नहीं रहे. वे जीवन के बड़े वाहक हैं—हमारे पर्यावरण, मौसम, बारिश और यहां तक कि भविष्य की दवाओं व बीमारियों को भी प्रभावित करने वाले. बादल हमें अपने पर्यावरण से जोड़ने वाली वह कड़ी हैं, जिसका रहस्य अब धीरे-धीरे खुल रहा है.

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