परमाणु हो या फिर मिसाइल, भारत के सामने फूस्स है पाकिस्तान समेत ये देश, जानिए क्या कहती है ग्लोबल आर्म्स की रिपोर्ट
SIPRI Yearbook 2025 के अनुसार भारत ने न्यूक्लियर हथियारों की संख्या में पाकिस्तान को पछाड़ दिया है. साथ ही भारत ने अत्याधुनिक मिसाइल तकनीकों जैसे कैनिस्टराइज्ड सिस्टम और MIRV तकनीक में बड़ी छलांग लगाई है. भारत की 'No First Use' नीति और स्वदेशी रक्षा तकनीक ने उसे वैश्विक परमाणु ताकतों की सूची में मजबूत स्थान दिलाया है.

इस वक्त जब पूरी दुनिया में इज़राइल-ईरान युद्ध के बाद परमाणु जंग का डर गहराता जा रहा है, वहीं भारत चुपचाप अपनी ताक़त बढ़ा रहा है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की सालाना रिपोर्ट ने दुनिया को चौंकाते हुए बताया है कि भारत ने पाकिस्तान को परमाणु हथियारों की होड़ में पछाड़ दिया है. इतना ही नहीं, भारत की मिसाइल तकनीक और डिलीवरी सिस्टम इतने आधुनिक हो गए हैं कि अब वो चीन तक को सीधी चुनौती देने की स्थिति में पहुंच गया है.
भारत की शान: तकनीक और संख्या में हुआ इजाफा
SIPRI के मुताबिक भारत के पास अब 172 न्यूक्लियर वारहेड्स हैं. ये संख्या पाकिस्तान के 170 से ज्यादा है. लेकिन केवल संख्या नहीं, भारत की असली ताक़त उसकी अत्याधुनिक तकनीक बन चुकी है. भारत अब 'कैनिस्टराइज्ड मिसाइल सिस्टम' पर काम कर रहा है जिसमें न्यूक्लियर हथियार पहले से मिसाइलों में लगे रहेंगे. इसका मतलब है कि भारत किसी भी हमले का जवाब बेहद तेजी से दे सकेगा.
साथ ही भारत 'MIRV' तकनीक (Multiple Independently targetable Reentry Vehicle) विकसित कर रहा है जिससे एक ही मिसाइल कई टारगेट्स पर वार कर सकेगी। यह तकनीक फिलहाल सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन के पास है. यानी भारत जल्द ही इस विशिष्ट क्लब में शामिल हो सकता है.
पाकिस्तान अब भी पीछे
ऐसा अनुमान है कि पाकिस्तान के पास लगभग 170 परमाणु हथियार हैं. पाकिस्तान जहां अभी तक अपने पुराने सिस्टम पर टिका हुआ है, वहीं भारत टेक्नोलॉजी में लंबी छलांग लगा चुका है. SIPRI के अनुसार पाकिस्तान की न्यूक्लियर पॉलिसी अस्पष्ट और अस्थिर है, जो पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी है. जबकि भारत ने 'No First Use' (पहले हमला न करने) की नीति से न केवल विश्वसनीयता बनाई है, बल्कि परमाणु हथियारों को जिम्मेदारी से संभालने वाले देशों में अपनी जगह मजबूत की है.
रूस की बादशाहत बरकरार
SIPRI का अनुमान है कि उसके पास लगभग 5,880 परमाणु हथियार हैं, जिनमें से कई मिसाइलों और पनडुब्बियों पर तैनात हैं और लगभग 2,100 को हाई ऑपरेशनल अलर्ट पर रखा गया है, जो कम समय में लॉन्च करने के लिए तैयार हैं. इसके साथ ही कुल परमाणु हथियारों के मामले में रूस दुनिया की अग्रणी परमाणु शक्ति बना हुआ है.
अमेरिका की ताकत
SIPRI के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका के पास लगभग 5,244 परमाणु हथियार हैं, जिनमें से कई पनडुब्बियों, रणनीतिक बॉम्बर्स और भूमि-आधारित मिसाइलों पर तैनात हैं. रूस की तरह, इनमें से एक महत्वपूर्ण संख्या को उच्च परिचालन अलर्ट पर रखा जाता है, जो मिनटों में लॉन्च करने में सक्षम है.
चीन की ताकत
चीन मौजूदा हथियारों की दौड़ में सबसे जांबाज खिलाड़ी है. SIPRI का अनुमान है कि 2025 की शुरुआत तक उसके पास 600 से ज़्यादा परमाणु हथियार होंगे, जबकि पिछले साल यह संख्या लगभग 500 थी. यह इसे दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली परमाणु शक्ति बनाता है.
SIPRI की रिपोर्ट बताती है कि चीन ने बीते सालों में तेज़ी से अपने न्यूक्लियर वारहेड्स बढ़ाए हैं, लेकिन भारत ने तकनीकी मोर्चे पर जिस गति से प्रगति की है, उसने चीन की नींद उड़ा दी है. भारत अब मिसाइल डिफेंस सिस्टम, समुद्र आधारित न्यूक्लियर प्लेटफॉर्म (SSBN) और लॉन्ग रेंज मिसाइल टेक्नोलॉजी में चीन के बराबर खड़ा हो गया है.
फ्रांस की ताकत
फ्रांस के पास करीब 290 परमाणु हथियार हैं, यह संख्या अपेक्षाकृत स्थिर बनी हुई है. लेकिन पर्दे के पीछे, यह अगली पीढ़ी की प्रणालियों में सक्रिय रूप से निवेश कर रहा है.
ब्रिटेन की ताकत
यूनाइटेड किंगडम के पास अनुमानतः 225 परमाणु हथियार हैं और SIPRI के अनुसार, आने वाले वर्षों में यह संख्या बढ़ने की उम्मीद है.
इजरायल की ताकत
इजरायल के परमाणु शस्त्रागार में 80 से 90 वारहेड होने का अनुमान है, हालांकि देश अपनी परमाणु अस्पष्टता की दीर्घकालिक नीति को जारी रखता है - न तो पुष्टि करता है और न ही इनकार करता है कि उसके पास परमाणु हथियार हैं.
उत्तर कोरिया
एसआईपीआरआई का अनुमान है कि उत्तर कोरिया ने 2025 की शुरुआत तक लगभग 50 परमाणु हथियार तैयार कर लिए हैं और उसने 40 और बनाने के लिए पर्याप्त विखंडनीय सामग्री, मुख्य रूप से समृद्ध यूरेनियम और प्लूटोनियम का उत्पादन किया है.
भारत की नीति बनी मिसाल
SIPRI ने भारत की 'No First Use' नीति को सराहा है. दुनिया के बाकी देश जहां अनिश्चित और आक्रामक रवैया अपनाते हैं, वहीं भारत की शांतिपूर्ण, लेकिन मजबूत नीति ने उसे वैश्विक मंच पर विश्वसनीय शक्ति बना दिया है. भारत न केवल अपने न्यूक्लियर शस्त्रागार को मजबूत कर रहा है, बल्कि इस दौड़ में जिम्मेदारी भी दिखा रहा है.